अभी ट्विट करते हुए लता दी के ट्विट से यह पता चला कि आज मेरे एक पसंदीदा संगीतकार सलिल चौधरी यानी सलिल दा का ८५वां जन्मदिन है..लता दी ने बहुत आदर और शिद्दत से याद किया है. उन्हें न सिर्फ एक बेहतरीन संगीतकार बलिक लेखक, गायक, कवि और कहानीकार बताया है.
सचमुच, सलिल दा का कोई जवाब नहीं है. उनके संगीत ने कई पीढ़ियों को आवाज दी है. आखिर हृषिकेश दा की फिल्म ‘आनंद’ को कौन भूल सकता है? उस फिल्म के गानों में जो कशिश है, वह जवानी के दिनों में ही नहीं, आज भी कहीं सपनों में खींच ले जाती है.
इस मौके पर खुद लता जी ने अपनी पसंद का जो गाना पेश किया है, वह यह रहा:
न जाने क्यों होता है ये जिंदगी के साथ..
http://www.youtube.com/watch?v=3h1Vc_ur0Dg
खुद मुझे उनका जो गाना सबसे पसंद है, वह यह रहा:
मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने...
http://www.youtube.com/watch?v=lGISh7L0Nb0
उनका एक और गाना जो मुझे बेहद पसंद है, आप भी सुनिए.
http://www.youtube.com/watch?v=rGI3rPSPcVA
और जब गानों की ही बात चली तो इस गाने को कैसे भुला सकते हैं:
http://www.youtube.com/watch?v=w4ZI4_QcNE0&feature=related
और चलते-चलते, अब जब शाम के साये गहरा रहे हैं:
http://www.youtube.com/watch?v=BmYT79bYIQw
1 टिप्पणी:
... sundar post !!!
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