नोकिया को सबक सिखाएं, उसके मोबाइल फोन का बहिष्कार करें
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (२४ दिसंबर) पर नोकिया के खिलाफ सत्याग्रह अभियान की शुरुआत
यह सबको पता है कि नोकिया दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल निर्माता कंपनी है. लेकिन कितनी बड़ी? इसका अंदाज़ा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुनिया के १५० से अधिक देशों में कारोबार करने वाली नोकिया के १२० देशों में एक लाख तेईस हजार से अधिक कर्मचारी हैं. वर्ष २००९ में उसका सालाना वैश्विक कारोबार कोई ४१ अरब यूरो का था और उसने लगभग १.२ अरब यूरो का मुनाफा कमाया था. आज दुनिया के मोबाइल बाज़ार के ३० प्रतिशत पर नोकिया का दबदबा है. भारत भी इसका अपवाद नहीं है. सच पूछिए तो भारत के मोबाइल बाज़ार पर एक तरह से नोकिया का एकछत्र राज्य है.
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में बाज़ार पर नोकिया की पकड़ ढीली हुई है और सस्ते भारतीय ब्रांडों ने उसे चुनौती देनी शुरू कर दी है लेकिन इसके बावजूद भारतीय बाज़ार में उसका हिस्सा ५४ प्रतिशत के आसपास बना हुआ है. इसका अर्थ यह हुआ कि २००९ में भारत में बिके कुल १० करोड़ मोबाइल फोन में से ५.४ करोड़ फोन नोकिया के थे. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नोकिया के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण है. इसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दुनिया के मोबाइल बाज़ार के ३० प्रतिशत की तुलना में नोकिया का भारत के मोबाइल बाज़ार के ५४ प्रतिशत पर कब्ज़ा है. आज उसके वैश्विक कारोबार और मुनाफे का बड़ा हिस्सा भारत से आता है.
लेकिन जिस भारतीय बाज़ार से नोकिया का धंधा चल रहा है, उसके उपभोक्ताओं को कंपनी बेवकूफ समझती है. उन्हें अपने ठेंगे पर रखती है. नोकिया को अपने उपभोक्ताओं की बिल्कुल परवाह नहीं है. एक तो यह कंपनी अपने फोन पर भारी प्रीमियम के साथ ऊँची कीमत वसूल करती है. नोकिया के फोन की ऊँची कीमतों का अंदाज़ा इस तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि लगभग सामान स्पेसिफिकेशन के भारतीय और चीनी फोन ५० से ७० प्रतिशत कम कीमतों पर बाजार में उपलब्ध हैं. नोकिया अपने फोन की ज्यादा कीमत इस आधार पर वसूल करती है कि वह न सिर्फ क्वालिटी के स्तर पर बेहतर फोन बेचती है बल्कि वह अपने सर्विस सेंटर्स के जरिये उपभोक्ताओं की समस्याओं को भी पूरी ईमानदारी और तत्परता से निपटती है.
लेकिन वास्तविकता यह है कि वह उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाने में लगी हुई है. उसकी न सिर्फ उपभोक्ताओं की परेशानियों और समस्याओं को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं है बल्कि उसे उपभोक्ताओं से किए गए वायदों से भी मुकरते देर नहीं लगती है. नोकिया के किसी भी सर्विस सेंटर्स- नोकिया केयर पर चले जाइये, आपको सैकड़ों असंतुष्ट और नाराज उपभोक्ता मिल जाएंगे. किसी भी उपभोक्ता शिकायत पोर्टल पर चले जाइये, सबसे अधिक शिकायतें नोकिया के खिलाफ ही मिलेंगी. लेकिन नोकिया को उनकी बिल्कुल भी परवाह नहीं है.
मैं भी नोकिया की वायदाखिलाफी का भुक्तभोगी
मैं खुद भी नोकिया की वारंटी में किए गए वायदों से मुकरने और वायदाखिलाफी का एक भुक्तभोगी हूँ. मैंने पिछले साल १३ फरवरी को दिल्ली के साऊथ एक्सटेंसन के स्टार मोबिटेल से बड़ी हसरतों के साथ नोकिया एन-८६ कुल १९५०० रूपये में ख़रीदा था. मेरे मोबाइल का आई.एम.ई.आई नंबर था- ३५८२७००३२०५७८०१. हालांकि मैं महंगा मोबाइल खरीदने के पक्ष में कभी नहीं रहता लेकिन इस मोबाइल के फीचर्स ने मुझे ऐसा ललचाया कि हिम्मत करके इसे खरीद ही लिया. इसमें ८ मेगापिक्सेल का कैमरा था. तस्वीरें खींचने के शौक के कारण ही यह फोन मैंने ख़रीदा जिसकी तस्वीरों की क्वालिटी शानदार थी.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि फोन की क्वालिटी से मैं संतुष्ट था. ऐसा लगता था कि चलो, पैसा वसूल हुआ. उससे मैंने बहुतेरी तस्वीरें खींचीं. उससे खींची एक तस्वीर साथ में लगी है, आप भी देखिये. लेकिन इस फोन के साथ मेरा अच्छा समय ज्यादा दिन नहीं चला. तीन-चार महीने के अंदर ही यह फोन अक्सर हैंग करने लगा. बहुत मुश्किल होती थी लेकिन किसी तरह काम चलता रहा. किसी मित्र ने बताया कि सभी मल्टी-मीडिया फोन के साथ ये समस्या रहती है.
लेकिन छह महीने के अंदर अगस्त के आखिरी सप्ताह में फोन बिल्कुल बंद हो गया. वह चार्ज ही नहीं हो रहा था. चार्जर लगाने पर आता- चार्जर नाट सपोर्टेड या ऐसा ही कुछ, अब याद भी नहीं. बहरहाल, मैंने फोन को नोकिया के वसंत विहार स्थित नोकिया केयर में ४ सितम्बर’१० जमा कराया. फोन वारंटी पीरियड में था. मुझे उम्मीद थी कि नोकिया जैसी बड़ी और सम्मानित कंपनी न सिर्फ वारंटी का सम्मान करेगी बल्कि मेरा फोन जल्दी से ठीक करके देगी. लेकिन पहले हप्ते तो नोकिया केयर टरकाता रहा कि अभी कंपनी से फोन आया नहीं है. मैंने नोकिया हेल्पलाइन को भी खटखटाया लेकिन कोई सात-आठ दिन तक कोई जवाब नहीं मिला.
लिक्विड इन्ग्रेशन यानि वारंटी से मुकरने के सौ बहाने
इसके बाद एक दिन अचानक नोकिया केयर से फोन आया कि आपके फोन में ‘लिक्विड इन्ग्रेसन’ यानी फोन में पानी चला गया है, इसलिए यह अब वारंटी में नहीं है और आपको अगर फोन ठीक करवाना है तो कोई सवा ४ हजार रूपये जमा करवाइए. मैं तो जैसे आसमान से गिरा. फोन में पानी! भला कैसे? मुझे बिल्कुल याद नहीं आता कि कभी ऐसी कोई स्थिति आई हो कि फोन में एक बूंद पानी गया हो. मुझे बहुत हैरानी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था. मैंने साफ कह दिया कि कंपनी मेरे साथ मजाक कर रही है और वारंटी से बचने के लिए बहाने बना रही है. मैं फोन बनवाने के पैसे नहीं दे सकता, चाहे जो हो जाए.
नतीजा, नोकिया केयर ने बिना मरम्मत के मेरा फोन वापस कर दिया. वह डेड फोन आज भी घर में नोकिया की वायदाखिलाफी के पसबूत के रूप में मौजूद है. इसके बाद मैंने नोकिया केयर लाइन को कोई दस ई-मेल भेजे. पहला ई-मेल १३ सितम्बर को और फिर २३ सितम्बर को आखिरी. इस बीच कोई नौ ई-मेल भेजे लेकिन कंपनी घुमा-फिराकर अपनी बात पर अडी रही कि फोन अब वारंटी में नहीं है क्योंकि उसमें लिक्विड इन्ग्रेशन है. मैं समझाते-समझाते थक गया कि नहीं, ऐसा नहीं है. लेकिन कंपनी मानने को तैयार नहीं थी. थक-हार कर मैंने तय किया कि अब नोकिया से अपील करने का कोई फायदा नहीं.
इसलिए, २३ सितम्बर’१० को मैंने भारत सरकार के उपभोक्ता हेल्प लाइन पर आनलाइन शिकायत दर्ज करा दी. उस शिकायत की आई.डी है- १७२८१/२/२०१०. लेकिन उपभोक्ता अधिकारों की गुहार लगानेवाली सरकार की ओर से आज तक कोई जवाब नहीं आया. मैंने कंज्यूमर वोईस पर भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. ऐसा लगा कि उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के नाम पर हर जगह एक मजाक चल रहा है. उन्हें एक निरीह प्राणी मानकर उन्हें बेवकूफ बनाया जा रहा है. बड़ी कंपनियों के आगे किसी की नहीं चल रही है. वे वारंटी के नाम पर अपने ग्राहकों को धोखा दे रही हैं.
जागो ग्राहक, जागो: नोकिया के खिलाफ अभियान की शुरुआत
लेकिन मैंने तय किया है कि इस मामले में चुप नहीं बैठना है. नोकिया को उसकी वायदाखिलाफी के लिए सबक सिखाना जरूरी है. अगर मैं भी उसके अन्य हजारों ग्राहकों की तरह निराश होकर चुप बैठ गया तो नोकिया भविष्य में भी अपने ग्राहकों के साथ ऐसे ही मजाक करती रहेगी. इसलिए आज राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस से नोकिया की वायदाखिलाफी और उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाने की उसकी नीति के खिलाफ एक अभियान शुरू कर रहा हूँ. इसमें आपके सक्रिय सहयोग की जरूरत है.
अभियान की शुरुआत में आप सभी से निवेदन है कि आप नोकिया इंडिया को उसके दायित्वों की याद दिलाएं. उसके मोबाइल फोन न खरीदें. उसका पूरी तरह से बहिष्कार करें. अगर आपकी खुद की कोई शिकायत हो तो यहां दर्ज करें.
फेसबुक पर कमेन्ट करें
लेकिन शुरुआत फेसबुक पर नोकिया इंडिया के पेज पर जाकर उसे उपभोक्ताओं का सम्मान करने की हिदायत देते हुए कमेन्ट से करें. उसे यह भी बताएं कि आप उसके फोन नहीं खरीदेंगे. शुरुआत यहां से करें ताकि नोकिया को भी पता चले कि वह अपने उपभोक्ताओं को हमेशा के लिए बेवकूफ नहीं बना सकती है. आप हिंदी या अंग्रेजी में अपने कमेन्ट लिख सकते हैं.
आप चाहें तो अपने ब्लॉग पर भी इस बारे में लिख सकते हैं. अपने वाल पर भी लिख सकते हैं.
फिर आप शामिल हो रहे हैं न इस अभियान में?
(नोट: जल्दी ही, नोकिया की भारत स्थित फैक्टरी में मजदूरों के साथ हो रही ज्यादती और श्रम कानूनों के उल्लंघन पर भी लिखूंगा)