सोमवार, मई 02, 2011

अमेरिका को अब ओसामा की जरूरत नहीं रह गई थी

 आखिर अगले साल ओबामा को दोबारा चुनाव भी लड़ना है


अमेरिका ने एलान कर दिया है कि दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी और अल कायदा का नेता ओसामा बिन लादेन मारा गया. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मानें तो अमेरिकी फौजियों की एक इलीट टुकड़ी ने ओसामा बिन लादेन को एक ख़ुफ़िया आपरेशन में इस्लामाबाद के पास एबटाबाद में मार गिराया है. ओबामा के मुताबिक, यह एक ख़ुफ़िया अमेरिकी आपरेशन था जो सीधे उनके निर्देश में चला. 

अमेरिकी टी.वी चैनलों और समाचार माध्यमों के मुताबिक, इस खबर के बाद से अमेरिका में जश्न का माहौल है. यही नहीं, ब्रिटेन से लेकर आस्ट्रेलिया तक के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों की ओर से खुशी और बधाई के सन्देश चैनलों पर गूंज रहे हैं.

भारतीय न्यूज चैनल भी अमेरिकी प्रतिष्ठान के हवाले से आ रही खबरों को पूरे उत्साह के साथ दोहराने में लगे हैं. हमेशा की तरह विजेता के बतौर अमेरिकी वीरता और पराक्रम की कहानियां मिर्च-मसाला लगाकर सुनाई जा रही हैं. इस सबके बीच सिर्फ अब यही बाकी बच गया है कि मारे गए ओसामा की छाती पर पैर रखे और हाथों में बंदूक ओबामा की तस्वीरें नहीं दिखाई गई हैं.

लेकिन सच बात यह है कि कहानी बहुत सरल और सीधी है. न्यूज चैनलों पर मत जाइए, उनका तो काम है कि कहानी में सनसनी, सस्पेंस और ड्रामा डालने के लिए एक से एक पेंच और ट्विस्ट घुसाएँ.

यह ठीक है कि ओसामा बिन लादेन कल मारा गया. लेकिन उसका यह अंत पहले दिन से ही तय था. सच तो यह है कि अगर वह कल तक जिन्दा था तो इसकी वजह भी यह थी कि उसे और उससे भी ज्यादा उसके नाम के आतंक को खुद अमेरिका ने जिन्दा रखा था. आखिर यह जिहादी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध का सवाल था!    

अमेरिका को ओसामा के नाम और आतंक की जरूरत कई कारणों से थी. ओसामा को पकड़ने और अल कायदा को खत्म करने के नाम पर अफगानिस्तान पर हमला किया गया. इसके लिए उसे बहुत बहाना नहीं बनाना पड़ा. साथ ही, पाकिस्तान में घुसपैठ बढ़ाने का मौका मिला. इसके साथ ही मध्य एशिया में पैर ज़माने की जगह मिली. इराक पर हमले के लिए जमीन तैयार करने में बहुत कसरत नहीं करना पड़ा.

साफ है कि इस सबके लिए ओसामा का जिन्दा रहना बहुत जरूरी था. वैसे भी अमेरिका बिना एक वैश्विक दुश्मन के नहीं रह सकता है. इस दुश्मन के नाम पर ही अमेरिकी सैन्य औद्योगिक गठजोड़ का खरबों डालर का कारोबार चलता है. आश्चर्य नहीं कि अमेरिका ने शीत युद्ध के बाद सभ्यताओं के संघर्ष की फर्जी सैद्धांतिकी के आधार पर ओसामा बिन लादेन के रूप में एक वैश्विक दुश्मन खड़ा किया.

अन्यथा यह सच किससे छुपा है कि ओसामा और उसके साथियों को जेहाद के नारे के साथ खड़ा करने में अमेरिका की सबसे बड़ी भूमिका थी? लेकिन अब अमेरिका को ओसामा की जरूरत नहीं रह गई थी. न सशरीर और न ही आतंक के एक प्रतीक के रूप में. कारण यह कि अब अमेरिका अफगानिस्तान से सम्मानजनक तरीके से  निकलना चाहता है. वह यह लड़ाई नैतिक रूप से ही नहीं बल्कि सैन्य तौर पर भी हार रहा था.

ओबामा ने बहुत पहले ही घोषित कर दिया था कि उनकी प्राथमिकता अफगानिस्तान की लड़ाई को जल्दी से जल्दी जीतकर वहां से बाहर निकलना है. लेकिन पिछले तीन साल में यह साफ़ हो चुका था कि अमेरिका अफगानिस्तान में जीतने नहीं जा रहा है. उल्टे उसे और खासकर नाटो के सैनिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था. सबसे बड़ी बात अमेरिका को यह भी लगने लगा था कि अफगानिस्तान से कुछ खास मिलनेवाला भी नहीं है. मतलब न वहां तेल है और न ही कोई और बेशकीमती खनिज. फिर वहां रुकने से क्या फायदा?

लेकिन अमेरिका को वहां से निकलने के लिए जीत जरूरी थी. यह जीत इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव हैं. यह भी किसी से छुपा नहीं है कि पिछले कुछ महीनों ओबामा की लोकप्रियता लगातार ढलान पर थी. उनके दोबारा जीत के लिए कुछ ड्रामैटिक होना जरूरी था. इसके लिए ओसामा बिन लादेन से उम्दा प्रत्याशी और कोई नहीं था.

जाहिर है कि ओबामा की जीत के लिए लादेन का मरना जरूरी था. और लादेन मारा गया.

कहानी खत्म, बच्चों बजाओ ताली!

4 टिप्‍पणियां:

Arunesh c dave ने कहा…

ओसामा ने वो कर दिखाया जिसे पहले कोई न कर पाया था उसकी मौत पर खुशी भी और कुछ गम भी हो रहा है

mithila khabar ने कहा…

SIR JI AMERICA NE JISE PAIDA KIYA FHIR USE APNA DUSHMAN BANAYA AUR ISKE BAD USKE NAM KA ISTEMAL WORLD ME BADTE ISLAM KE DABDABE KO ROKNE KE LIYE ZINDA RAKHA. AMERICA KA HISTORY RAHA HE USNE JISKO BHI APNA DOST BANAYA HE USKO NESTANABUD KAR DIYA HE....INDIA BACH KE

TRIPURARI ने कहा…

अमेरिका को अब ओसामा की जरूरत नहीं रह गई थी...

Unknown ने कहा…

जरुर बजायेगे ताली आखिर अमेरिका सरक्षित जो हो गया, 10 साल में दूसरा हमला नहीं होने दिया। और हमारे यहाँ हाफिज सईद धमाके पे धमके करता जा रहा हैं।