मंगलवार, सितंबर 13, 2011

रेड्डी बंधुओं के अवैध खनन का सर्वदलीय साम्राज्य


बेल्लारी में दिखता है भाजपा का असली 'चाल, चरित्र और चेहरा'


कहते हैं कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं. लेकिन अब यह सिर्फ फिल्मों के संवादों में सुना जाता है. कानून के ये मिथकीय ‘हाथ’ व्यवस्थागत और सर्वदलीय भ्रष्टाचार के कारण किस हद तक लकवाग्रस्त और कमजोर हो चुके हैं, इसका एक और सबूत है कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बेल्लारी-अनंतपुर इलाके में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से सत्ता के खुले संरक्षण में बिना किसी रोक-टोक के जारी लौह अयस्क के अवैध खनन का काला कारोबार.

हालांकि बीते सप्ताह कानून के ये हाथ कांपते-लड़खड़ाते अवैध खनन के लिए कुख्यात बेल्लारी के रेड्डी भाइयों में से एक और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की सरकार में पर्यटन, युवा मामलों और ढांचागत विकास के कैबिनेट मंत्री रहे जी. जनार्दन रेड्डी तक पहुँच गए लेकिन कहने की जरूरत नहीं है कि रेड्डी बंधुओं पर हाथ डालने में सी.बी.आई ने काफी देर लगा दी.

इस कारण यह गिरफ्तारी एक रस्म अदायगी भर बनकर रह गई है. याद रहे कि कोई इक्कीस महीने पहले यानी दिसम्बर २००९ में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आंध्रप्रदेश की तत्कालीन रोसैया सरकार ने राज्य के अनंतपुर जिले में अवैध खनन और अनियमितताओं के आरोप में रेड्डी बन्धुओँ की ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन तमाम सबूतों और रिपोर्टों के बावजूद सी.बी.आई हाथ पर हाथ धरे बैठी रही.

यहाँ तक कि कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस संतोष हेगड़े की ताजा रिपोर्ट में बेल्लारी जिले में अवैध खनन और लौह अयस्क के गैर कानूनी निर्यात के लिए दोषी करार दिए जाने के बावजूद सी.बी.आई रेड्डी बंधुओं के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाती रही. साफ है कि सी.बी.आई ने रेड्डी बंधुओं को सबूत नष्ट करने के लिए पर्याप्त समय दिया.

लेकिन इससे रेड्डी भाइयों के राजनीतिक रसूख और दबदबे का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. हालांकि रेड्डी बंधु भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं और जी. जनार्दन रेड्डी के अलावा उनके भाई जी. करुणाकर रेड्डी अभी हाल तक कर्नाटक की भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे लेकिन यह अब किसी से छुपा नहीं है कि अवैध खनन के उनके कारोबार को आंध्र प्रदेश के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री वाई. एस. राजशेखर रेड्डी का पूरा संरक्षण हासिल था.

माना जाता है कि एक कांस्टेबल के बेटे से अरबों का साम्राज्य खड़ा करने में रेड्डी बंधुओं की कामयाबी के पीछे भाजपा के शीर्ष नेताओं सहित वाई.एस राजशेखर रेड्डी का भी बहुत बड़ा हाथ था. उनके बीच गहरे कारोबारी रिश्ते रहे हैं. कहते हैं कि राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन मोहन रेड्डी की अकूत संपत्ति में एक बड़ा हिस्सा इस अवैध खनन के जरिये भी इकठ्ठा किया गया है.

सच पूछिए तो आंध्र प्रदेश-कर्नाटक में अवैध खनन का यह कारोबार एक तरह से कांग्रेस-भाजपा के संयुक्त उपक्रम की तरह चल रहा था. आश्चर्य नहीं कि कर्नाटक में अवैध खनन पर अपनी २५ हजार पन्नों की रिपोर्ट में लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने न सिर्फ भाजपाई मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और रेड्डी बंधुओं बल्कि पिछले दस साल में कर्नाटक की कांग्रेस, जे.डी-एस और भाजपा की सभी सरकारों को दोषी ठहराया है.

इस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि बेल्लारी में अवैध खनन का कारोबार सर्वदलीय सहमति और भागीदारी के साथ चल रहा था और जिसको जब मौका मिला, उसने लूटने में कोई कसर नहीं उठा रखी. यही नहीं, बेशकीमती सार्वजनिक संपत्ति की इस बेदर्द लूट में यू.पी.ए के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है.

असल में, सी.बी.आई के हाथ यूँ ही नहीं कांप रहे हैं. तथ्य यह है कि आंध्र और कर्नाटक में अवैध खनन और उसके निर्यात का यह विशाल कारोबार बिना केन्द्र सरकार और उसके विभिन्न महकमों की मदद के नहीं चल सकता था. चाहे केन्द्रीय खनन मंत्रालय हो या वन एवं पर्यावरण मंत्रालय या भारतीय खनन ब्यूरो या फिर सीमा शुल्क विभाग- इन सभी के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना यह कारोबार इस हद तक फल-फूल नहीं सकता था.

लोकायुक्त के अलावा सुप्रीम कोर्ट की केन्द्रीय उच्चाधिकारप्राप्त समिति (सी.इ.सी) की रिपोर्टों में इसका पूरा ब्यौरा है कि किस तरह दोनों राज्यों में राज्य सरकार के विभिन्न महकमों के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार के अधिकारी-कर्मचारी भी बेल्लारी के खनन माफिया की सेवा में जुटे हुए थे.

जाहिर है कि यह राजनीतिक संरक्षण के बिना संभव नहीं था. दरअसल, बेल्लारी देश में बेशकीमती खनिज संसाधनों की खुली लूट का शर्मनाक प्रतीक बन गया है. उल्लेखनीय है कि देश के कुल लौह अयस्क खनन का लगभग २५ फीसदी कर्नाटक से आता है और कर्नाटक के कुल लौह अयस्क खनन का ६० फीसदी से अधिक बेल्लारी से आता है.

यही नहीं, बेल्लारी के लौह अयस्क की गुणवत्ता बहुत अच्छी मानी जाती है और उसकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में काफी मांग है. इसी “बेल्लारी गणराज्य” में खनन माफिया की समानांतर सरकार चल रही थी जहाँ खनन कारोबार से जुड़े जिंदल-अदानी जैसे बड़े कारपोरेट समूहों, रेड्डी बंधुओं और कांग्रेसी अनिल लाड जैसे स्थानीय खनन कारोबारियों और खनन माफियाओं का हुक्म चलता था.

इनमें भी खासकर रेड्डी बंधुओं की तूती बोलती थी क्योंकि कर्नाटक की भाजपा सरकार उनकी दया पर टिकी रही है. यह किसी से छुपा नहीं है कि शुरू में येदियुरप्पा की अल्पमत सरकार को बहुमत में लाने के लिए विपक्षी विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए “आपरेशन कमल” रेड्डी बंधुओं के पैसे से ही पूरा हुआ. लेकिन रेड्डी बंधुओं ने इसकी पूरी कीमत भी वसूली. दो रेड्डी भाइयों के अलावा उनके करीबी बी. श्रीरामलू को कैबिनेट मंत्री का पद मिला.

जी. जनार्दन रेड्डी बेल्लारी के जिला प्रभारी मंत्री भी थे और उनकी मर्जी के बिना वहां पत्ता भी नहीं खड़कता था. जिले के कलक्टर से लेकर सभी विभागों के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी और कर्मचारियों की नियुक्ति उनकी मर्जी से होती थी. रेड्डी बंधुओं के दबदबे का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब २००९ में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने बेल्लारी के कुछ अधिकारियों का तबादला कर दिया तो रेड्डी बंधुओं के समर्थक विधायकों ने बगावत कर दी थी. सरकार बचाने के लिए भाजपा आलाकमान के निर्देश पर येदियुरप्पा को रेड्डी बंधुओं के आगे घुटने टेकने पड़े थे.

लेकिन रेड्डी बंधुओं के इस दबदबे की असली कीमत बेल्लारी और उसकी गरीब जनता को चुकानी पड़ी है. इन सभी ने मिलकर बेल्लारी और अनंतपुर में जिस तरह से लूटपाट मचाई, वह औपनिवेशिक काल में हुए पूंजी के आदिम संचय को मात देने वाला था. कुछ तथ्यों पर गौर कीजिये:

• कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त संतोष हेगड़े के मुताबिक, वर्ष २००६ से २०१० के बीच अकेले कर्नाटक से लगभग तीन करोड़ टन अवैध लौह अयस्क का खनन और निर्यात किया गया जिसके कारण देश को लगभग १६ हजार करोड़ रूपये का नुकसान उठाना पड़ा है.

• बेल्लारी में कोई एक अरब टन लौह अयस्क का भण्डार होने का अनुमान है लेकिन मुनाफे की हवस में जिस तरह से अंधाधुंध अवैध खनन हो रहा है, उसके कारण इस भंडार के जल्दी ही खत्म हो जाने की आशंका है. लोकायुक्त ने २००८ की रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि अगर इसी रफ़्तार से खनन हुआ तो अगले २५-३० वर्षों में यह भंडार खत्म हो जाएगा. लेकिन उसपर कोई ध्यान दिया गया और सभी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए अवैध-वैध खनन चलता रहा. इससे यह आशंका जाहिर की जा रही है कि अगले ५ से ८ सालों में बेल्लारी का यह कीमती खनिज भण्डार खत्म हो जाएगा.

इस बेतहाशा दोहन का अर्थ यह भी है कि देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं बल्कि कुछ निजी कंपनियों और लोगों की लालच को पूरा करने के लिए उस बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लुटाया जा रहा है जिसपर अगली पीढ़ियों का भी बराबर का अधिकार है.

• यही नहीं, अवैध खनन की जबरदस्त मार बेल्लारी के जंगल और पर्यावरण पर भी पड़ी है. सुप्रीम कोर्ट की उच्चाधिकारप्राप्त समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, “जो इलाका कभी हरे-भरे, खूबसूरत पहाड़ी इलाके के रूप में दिखता था, वह खनन और उससे जुडी गतिविधियों के कारण आज युद्ध से तबाह इलाके की तरह दिखाई देता है जिसमें बड़े-बड़े दाग मौजूद हैं.” समिति के अनुसार, खनन के कारण बेल्लारी के लगभग ४५ फीसदी जंगल खत्म हो गए हैं.

• एक ओर बेल्लारी को रौंदा और लूटा जा रहा था और खनन कम्पनियाँ और रेड्डी बंधु मनमाना मुनाफा कम रहे थे, दूसरी ओर बेल्लारी के मुट्ठी भर लोगों को छोडकर इसका कोई फायदा आम गरीबों को नहीं मिला है. बेल्लारी आज भी देश के सबसे गरीब और पिछड़े जिलों में से एक है. विडम्बना देखिए कि एक ओर बेल्लारी में अवैध खनन की लूट से अमीर बने नए दौलतिए हेलीकाप्टर और हवाई जहाज से लेकर मर्सिडीज बेंज और बी.एम.डब्ल्यू जैसी महँगी गाडियां खरीदने और विशाल बम रोधी अट्टालिकाएं बनवाने में लगे हुए हैं, उसी समय बेल्लारी के गरीबों, महिलाओं और बच्चों को खदानों में धूल-गर्द के बीच मामूली मजदूरी पर गुजरा करना पड़ रहा है. उन्हें स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है.

बेल्लारी की लूट का अंदाज़ा इन रिपोर्टों से लगाया जा सकता है कि देश में निजी विमानों के कुल बाज़ार में १० फीसदी हिस्सा बेल्लारी का है. बेल्लारी की विभिन्न खनन कंपनियों के पास कोई आठ विमान/हेलीकाप्टर हैं. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के सैंडल लाने के लिए विमान मुंबई भेजे जाने की खूब चर्चा हुई लेकिन कहते हैं कि रेड्डी बंधु अपने निजी हेलीकाप्टर से रोज बंगलुरु आते-जाते थे. उनका अपना हेलीपैड था.

“बेल्लारी गणराज्य” की लूट और बर्बादी की यह कहानी बहुत लंबी है. लेकिन बेल्लारी और अनंतपुर में जो हुआ और हो रहा है, वह कोई अपवाद नहीं है. तथ्य यह है कि पिछले एक-डेढ़ दशक में झारखण्ड के सिंहभूम और पूरे कोयला क्षेत्र, उडीशा के क्योंझर, सुंदरगढ़ और आई.बी घाटी, छत्तीसगढ़ के रायगढ़, गुजरात के जामनगर, कच्छ, और जूनागढ़ से लेकर कर्नाटक-आंध्र प्रदेश के बेल्लारी-अनंतपुर तक बेशकीमती खनिजों की लूट की कहानी एक है.

झारखण्ड के मधु कोड़ा और बेल्लारी के रेड्डी बंधुओं में कोई खास फर्क नहीं है. हर जगह राज्य और केन्द्र सरकारों के सीधे संरक्षण में राजनेताओं, अफसरों, खनन कंपनियों और अपराधियों का गठजोड़ खनन के नाम पर लूट खसोट में लगा है.

यह कहना गलत नहीं होगा कि इस गठजोड़ ने केन्द्र और राज्य सरकारों को बंधक बना लिया है. सच पूछिए तो पिछले कई दशकों से देश में खनन के नाम पर जो लूट-खसोट का खेल चल रहा है, उसी के उत्तर उदारीकरण दौर का नया और बर्बर रूप है. सच यह है कि आज़ादी से पहले अंग्रेजों ने खनिजों को लूटा और आज़ादी के बाद से खनन के नाम पर निजी कंपनियों और ठेकेदारों ने जमकर मनमानी की. मजदूरों का जमकर शोषण किया गया.

खनन उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद हालांकि मजदूरों की स्थिति में थोड़ा सुधार आया लेकिन राजनीतिक संरक्षण में अफसरों और ठेकेदारों की लूट-खसोट बदस्तूर जारी रही. धनबाद के कोयला माफिया की कथाएं कौन भूल सकता है?

लेकिन रही-सही कसर १९९३ में नरसिम्हा राव की सरकार ने खनन क्षेत्र को निजी और विदेशी पूंजी के लिए खोलकर पूरी कर दी. इस फैसले ने एक तरह से देश के बेशकीमती संसाधनों की लूट का रास्ता साफ़ कर दिया. आज पूरे देश में पास्को से लेकर वेदांता तक बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इसी लूट में अपने-अपने हिस्से के लिए जोर-आजमाइश करने में लगी हैं.

उन्हें मौका मिला तो तय है कि वे रेड्डी बंधुओं को बहुत पीछे छोड़ देंगी. लेकिन सवाल है कि क्या देश अपनी कीमती खनिज सम्पदा को इसी तरह लुटते देखता रहेगा? आखिर इस पर जितना हक हमारा है, उतना ही हमारी अगली पीढ़ियों का भी.

('जनसत्ता' में १२ सितम्बर को सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख)

4 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

सब एक जैसे है, कोई नहीं पाक-साफ़?

रविकर ने कहा…

खनन उपक्रम का, बेबस राजधर्म का
लूट-तंत्र बेशर्म का, सुवाद अंगूरी है |
राजपाट पाय-जात, धरती का खोद-खाद
लूट-लूट खूब खात, यही तो जरुरी है |
कहीं कांगरेस राज, भाजप का वही काज
छोट भी आवे न बाज, भेड़-चाल पूरी है |
चट्टे-बट्टे थैली केर, सारे साले एक मेर,
देर है या है अंधेर, पूरी मजबूरी है ||

vidhya ने कहा…

बहुत ही आचा लगा पोस्ट पढ़ कर
बहुत कुछ जानकारिय है

रेखा ने कहा…

ये नेतालोग जो न करें वही कम है ........पता नहीं इस सबसे कब निजात मिलेगा