आनंद प्रधान
नई दिल्ली, 29 अप्रैल। उत्तरप्रदेश में गुरूवार को हो रहे तीसरे चरण के मतदान में 15 सीटें दांव पर हैं। मध्य उत्तरप्रदेश में अवध और बुंदेलखंड की इन सीटों पर मुख्य मुकाबला सपा और बसपा के बीच है जबकि आधा दर्जन से अधिक सीटों पर कांग्रेस और भाजपा भी मुख्य मुकाबले में हैं। 2004 के आम चुनावों में इन 15 सीटों में सपा को 6, बसपा को 5 और कांग्रेस और भाजपा को दो-दो सीटें मिली थीं। परिसीमन के बाद 15 सीटों में से छह सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित कर दी गयी हैं।
इस तीसरे चरण में प्रदेश की कई हाई-प्रोफाइल सीटों-लखनऊ, रायबरेली, कानपुर में कांग्रेस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। रायबरेली में कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की जीत में किसी को शक नहीं है लेकिन प्रियंका गांधी भीषण गर्मी के बीच गांव-गांव की खाक छान रही हैं ताकि जीत का मार्जिन पिछली बार से कम न हो। अलबत्ता कानपुर में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल एक कठिन चतुष्कोणीय लड़ाई में जरूर फंस गए हैं। उनके सामने अपने गृह किले को बचाने की चुनौती है लेकिन अगर सपा प्रत्याशी सुरेन्द्र मोहन अग्रवाल का चुनाव आखिरी दिन तक नहीं चढ़ा तो जायसवाल एक बार फिर कानपुर का किला फतह करने का चमत्कार दिखा सकते हैं।
लेकिन सबसे दिलचस्प मुकाबला प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हो रहा है। यहां भाजपा नेता लालजी टंडन, बसपा प्रत्याशी अखिलेश दास गुप्ता, सपा उम्मीदवार नफीसा अली और कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला है। बसपा प्रत्याशी और यूपीए सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे अखिलेश दास पिछले एक साल से पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि उनके लिए लखनऊ अभी दूर है। सपा की ओर से फिल्म अभिनेता संजय दत्त को मैदान में उतारने के फिल्मी नाटक के पटाक्षेप के बाद नफीसा अली वास्तविक कम और एवजी उम्मीदवार अधिक लगती हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा की भी है। ऐसे में, भाजपा यह सीट बचा ले जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
कांगे्रस को उन्नाव में अन्नू टंडन, बाराबंकी में प्रदेश के प्रमुख सचिव और मायावती के करीबी रहे नौकरशाह पी एल पुनिया, सीतापुर में पूर्व गृह राज्यमंत्री रामलाल राही, झांसी में पार्टी विधायक प्रदीप जैन, मोहनलालगंज में मायावती के करीबी और बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आर के चैधरी से भी काफी उम्मीदे हैं। लेकिन इनमें उन्नाव में पार्टी प्रत्याशी अन्नू टंडन जीत के सबसे करीब हैं। वह रिलायंस समूह के मालिक मुकेश अंबानी की काफी करीब मानी जाती हैं और उनका चुनाव अभियान बिल्कुल कारपोरेट शैली में चल रहा है। उन्होंने देश की इस सबसे अधिक मतदाताओं वाली सीट पर अपने कार्यकर्ताओं और प्रचारकों का चयन बिल्कुल कंपनी के कर्मचारियों की तरह किया है। उनके मुकाबले बसपा ने लखनऊ के जानेमाने माफिया डॉन अरुण शंकर शुक्ल ‘अन्ना' को उतारा है जिसकी प्रतिक्रिया का फायदा भी टंडन को मिल रहा है।
तीसरे चरण में भाजपा लखनऊ, कानपुर, झांसी के अलावा जालौन, बहराइच, अकबरपुर में लड़ाई में है लेकिन वोटों में वृद्धि के बावजूद वह दो से अधिक सीट जीतने की स्थिति में नहीं दिख रही है। हालांकि इन सीटों पर सपा-बसपा और कांग्रेस के बीच मतों का ज्यादा बिखराव हुआ तो भाजपा मामूली अंतर से और एक-दो सीटें निकाल सकती हैं। अन्यथा भाजपा को इस चरण से अधिक उम्मीद नहीं करनी चाहिए। अवध और बुंदेलखंड का यह इलाका एक समय में भाजपा की राजनीति के लिए बहुत उर्वर साबित हुआ जब राम लहर पर चढ़कर पार्टी ने 15 में से 12 सीटें जीत ली थीं लेकिन उसके बाद से सरयू और बेतवा में बहुत पानी बह चुका है।
अब यह इलाका बसपा और सपा का गढ़ है। अधिकांश सीटों पर उनके बीच ही मुकाबला हो रहा है। पन्द्रह में से कुल 11 सीटों अकबरपुर, सीतापुर, हरदोई (सु.), मिसरिख (सु.), मोहनलालगंज (सु.),जालौन (सु.), झांसी, हमीरपुर, फतेहपुर, बाराबंकी और बहराइच (सु.) पर असली मुकाबला सपा और बसपा के बीच है जिनमें से कुछ सीटों पर कांग्रेस और कुछ पर भाजपा मुकाबले को त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बसपा के लिए यह चरण सबसे महत्त्वपूर्ण है। उसे न सिर्फ अपनी पांच सीटें बचाने की चुनौती है बल्कि उन्हें अधिक से अधिक बढ़ाने की भी क्योंकि इसके बाद चौथे और पांचवे चरण में सपा और रालोद-भाजपा के इलाके में हाथी के लिए रास्ता आसान नहीं है।
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