तीसरा रास्ता

आनंद प्रधान

बुधवार, सितंबर 01, 2010

तीसरा रास्ता: चैनलों का ‘आजाद’ सच

तीसरा रास्ता: चैनलों का ‘आजाद’ सच
Posted by आनंद प्रधान at 5:21:00 pm
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मुझे कदम-कदम पर

- मुक्तिबोध

मुझे
कदम-कदम पर
चौराहे मिलते हैं
बांहें फैलाए!
एक पैर रखता हूँ
कि सौ राहें फूटतीं,
मैं उन सब पर से गुजरना चाहता हूँ,
बहुत अच्छे लगते हैं
उनके तजुर्बे और अपने सपने....
सब सच्चे लगते हैं,
अजीब-सी अकुलाहट दिल में उभरती है,
मैं कुछ गहरे में उतरना चाहता हूँ,
जाने क्या मिल जाए!
मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक पत्थर
में
चमकता हीरा है,
हर एक छाती में आत्मा अधीरा है
प्रत्येक सस्मित में विमल सदानीरा है,
मुझे भ्रम होता है कि प्रत्येक वाणी
में
महाकाव्य पीडा है,
पलभर में मैं सबमें से गुजरना चाहता
हूँ,
इस तरह खुद को ही दिए-दिए फिरता हूँ,
अजीब है जिंदगी!
बेवकूफ बनने की खातिर ही
सब तरफ अपने को लिए-लिए फिरता हूँ,
और यह देख-देख बडा मजा आता है
कि मैं ठगा जाता हूँ...
हृदय में मेरे ही,
प्रसन्नचित्त एक मूर्ख बैठा है
हंस-हंसकर अश्रुपूर्ण, मत्त हुआ जाता है,
कि जगत.... स्वायत्त हुआ जाता है।
कहानियां लेकर और
मुझको कुछ देकर ये चौराहे फैलते
जहां जरा खडे होकर
बातें कुछ करता हूँ
.... उपन्यास मिल जाते ।

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मैं भारतीय जनसंचार संस्थान में पत्रकारिता पढाता हूँ. लेकिन यहाँ लिखे लेखों या टिप्पणियों में व्यक्त विचार मेरे निजी विचार हैं और इनका संस्थान से कोई संबंध नहीं है. अखबारों में सम-सामयिक मुद्दों पर लिखता-पढता रहता हूँ. ब्लागिंग मेरा शौक है.. हालाँकि समय कम मिल पाता है. अक्सर अपने छपे हुए लेख 'तीसरा रास्ता' ब्लॉग लगा देता हूँ. कभी-कभार स्वतंत्र रूप से भी ब्लॉग के लिए भी लिखता हूँ. इधर मैंने एक निजी ब्लॉग 'चलते-चलते' (http://ghumakkadvadi.blogspot.in/ ) शुरू किया है जिसमें यात्राओं, फिल्मों, गानों और अपनी यादों के चर्चे होंगे. इन दोनों ब्लॉगों और इसकी टिप्पणियों पर आपकी प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा. आप मुझसे मेरे ई-मेल पते पर संपर्क कर सकते हैं: anand.collumn@gmail.com
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