tag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post8161470439419252293..comments2023-10-03T16:20:46.521+05:30Comments on तीसरा रास्ता: दोनों सिरों से जल रही है न्यूज चैनलों के पत्रकारों के जीवन की मोमबत्तीआनंद प्रधानhttp://www.blogger.com/profile/05288123571817148120noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-78592154026181090572011-08-10T23:02:21.290+05:302011-08-10T23:02:21.290+05:30आनंद जी, बहुत ज़रूरी और बढ़िया आलेख श्रंखला के लिए...आनंद जी, बहुत ज़रूरी और बढ़िया आलेख श्रंखला के लिए शुक्रिया. शायद सभी स्तरों पर श्रम विभाग और समाचार प्रबंधकों के बीच एक गठजोड़ काम करता है. समाचार माध्यम श्रम विभाग की सभी बड़ी ख़बरों को दबाये रहते हैं और जवाब में श्रम विभाग कभी उनके दफ्तरों में छापा नहीं मारता. दोनों इसी म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ काम करते हैं.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14756541566873146051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-67537988721219005402011-08-09T17:28:56.155+05:302011-08-09T17:28:56.155+05:30सर, पता नहीं पहली बार आपका लेख पढकर मजा नहीं आया। ...सर, पता नहीं पहली बार आपका लेख पढकर मजा नहीं आया। मुद्दा सटीक है लेकिन वह धार नहीं है, जो आमतौर पर देखने को मिलती है। आपका हर लेख दो बार पढता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया। कुछ सर जल्दबाजी में सतही तौर पर लिखा हुआ लगता है खासकर दूसरी और तीसरी किस्त। <br /> आदर सहितआकांक्षा 'प्रिमरोज़' https://www.blogger.com/profile/14361348030585614386noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-58777285919784075362011-08-06T12:06:06.793+05:302011-08-06T12:06:06.793+05:30स्तिथि भयावह है.सच है,पर जानलेवा है.बाज़ार का निवा...स्तिथि भयावह है.सच है,पर जानलेवा है.बाज़ार का निवाला बन रहा है पत्रकार.स्तिथि यही रही तो आहार भी बनने लगेगा.सोचना पड़ेगा कही आज की पत्रकारिता की ऐसी हकीकत चिरजीवी सच्चाई तो बनाने नहीं जा रही है?जानकर डर लग रहा है.मेरे जैसे पिद्दों को लगाना भी चाहिए.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10242814985851746473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-88067931847295197992011-08-05T16:55:51.237+05:302011-08-05T16:55:51.237+05:30प्रजातंत्र के सजग प्रहरियों की मनोदशा एवं कार्...प्रजातंत्र के सजग प्रहरियों की मनोदशा एवं कार्य के बोझ ओर तनाव पूर्ण कार्य क्षेत्र के कारण स्वस्थ्य ओर जीवन पर संकट की विषम <br />स्तिथियों के बारे में जानकार मन ब्यथित हो गया ..कुछ सकारात्मक परिवर्तन की चाह है...<br />सभी पत्रकार बंशुओं को कोटि कोटि कृतज्ञता एवं शुभ कामनाएं....<br />सत्य से साक्षात्कार कराते आलेख के लिए हार्दिक आभार ...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.com