tag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post6751302211954564045..comments2023-10-03T16:20:46.521+05:30Comments on तीसरा रास्ता: भविष्य के पत्रकारों का सामान्य (अ)ज्ञानआनंद प्रधानhttp://www.blogger.com/profile/05288123571817148120noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-37549872981490344132009-11-19T12:14:22.796+05:302009-11-19T12:14:22.796+05:30पत्रकारिता अब नरेगा योजना की तरह हो गयी है.जिसमे प...पत्रकारिता अब नरेगा योजना की तरह हो गयी है.जिसमे पत्रकारिता की डिग्री या किसी अखबार.चेनल का कार्ड मिलने के बाद ३६५ दिन का रोजगार मिलना तय है.अखबारों और चेनल से गम्भीर पत्रकारिता गायब हो रही है.वजह कम जानकर लोगों का पत्रकारिता मैं आना.VOICE OF MAINPURIhttps://www.blogger.com/profile/16674110616508901300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-40951678737915153112009-07-01T19:37:00.146+05:302009-07-01T19:37:00.146+05:30सर!
समान्य ज्ञान की हालत तो फ़िर भी दुनिया के और दे...सर!<br />समान्य ज्ञान की हालत तो फ़िर भी दुनिया के और देशों से हमारे यहाँ अच्छी है, पर भाषा को लेकर जो चलताऊ रवैया हमने अपना रखा है वो मुझे ज्यादा घातक लगता है. हम अपने आस पास अंग्रेजी सुधारने मे जी जान एक किये हुये लोगों की भीड देख सकते हैं, पर किसी को अपनी हिंदी की फ़िक्र नहीं. हम ये भूल चुके हैं कि हिंदी हमारी पहचान का हिस्सा है. इसे खोकर हमे पहचान का संकट झेलना ही होगा!<br />गुलशन कुमारGulshan Singhhttps://www.blogger.com/profile/14363086306608881492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-36313571594304726802009-06-24T12:41:59.455+05:302009-06-24T12:41:59.455+05:30सर खबरिया चैनल चौबीस घंटे सामान्य ज्ञान की खुराक ...सर खबरिया चैनल चौबीस घंटे सामान्य ज्ञान की खुराक देते हैं क्रिकिट क्रिकिट ,राखी -शिल्पा .....भावी पत्रकारों को और क्या चाहिए .मीडिया मतलब मार्केटिंग हो गया है.मार्केटिंग आता है तो सब चकाचक .... chakrapanichakrapanihttps://www.blogger.com/profile/13023553374984072980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-68960412763356296802009-06-21T22:02:39.165+05:302009-06-21T22:02:39.165+05:30ये हमारी साझा चिंता होनी चाहिए. ये भी सही है की मू...ये हमारी साझा चिंता होनी चाहिए. ये भी सही है की मूल समस्या प्रारंभिक शिक्षा में है, यह भी एक कड़वी सच्चाई है की आज युवा पत्रकारिता करने के लिए नहीं बल्कि नौकरी की तलाश में IIMC जैसे संस्थानों में जाते हैं. इस लेख को पढने के बाद अपने अखबार के एक साथी जो की जामिया मिलिया से पढाई कर आया था चर्चा कर रहा था, तो उसने भी ये स्वीकार किया की इसमें से अरविंद अडिगा,हैरोल्ड पिंटर, प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस जी एन रे और दक्षिण एशियाई पत्रकारों के संगठन साफमा के बारे में कुछ नहीं जनता. उसने मुझसे पूछा - तू जनता है साफमा के बारे में जानता है क्या? मेरा भी जवाब IIMC के प्रवेश परीक्षा के समय पहली बार पढ़ा था.विजय प्रतापhttps://www.blogger.com/profile/06200856560112088526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-90157310884345177572009-06-21T19:37:32.259+05:302009-06-21T19:37:32.259+05:30ये हमारी साझा चिंता होनी चाहिए. ये भी सही है की मू...ये हमारी साझा चिंता होनी चाहिए. ये भी सही है की मूल समस्या प्रारंभिक शिक्षा में है, यह भी एक कड़वी सच्चाई है की आज युवा पत्रकारिता करने के लिए नहीं बल्कि नौकरी की तलाश में IIMC जैसे संस्थानों में जाते हैं. इस लेख को पढने के बाद अपने अखबार के एक साथी जो की जामिया मिलिया से पढाई कर आया था चर्चा कर रहा था, तो उसने भी ये स्वीकार किया की इसमें से अरविंद अडिगा,हैरोल्ड पिंटर, प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस जी एन रे और दक्षिण एशियाई पत्रकारों के संगठन साफमा के बारे में कुछ नहीं जनता. उसने मुझसे पूछा - तू जनता है साफमा के बारे में जानता है क्या? मेरा भी जवाब IIMC के प्रवेश परीक्षा के समय पहली बार पढ़ा था.विजय प्रतापhttps://www.blogger.com/profile/06200856560112088526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-26464158371026064772009-06-20T21:57:49.056+05:302009-06-20T21:57:49.056+05:30Sir, I feel the real problem is not with IIMC aspi...Sir, I feel the real problem is not with IIMC aspirants....its with the primary education in india....Visionaryhttps://www.blogger.com/profile/07609365966736553248noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-22619315690366441092009-06-20T20:25:43.221+05:302009-06-20T20:25:43.221+05:30भविष्य के ?
तो भाई आजकल ही कौनो बहुत अच्छा चल रहा...भविष्य के ?<br />तो भाई आजकल ही कौनो बहुत अच्छा चल रहा है, किसी भी चैनल पर देख लो, जब extempore के नाम पर ये बकवास करते हैं तो घर के नौकर भी बस मुस्कुरा भर देते हैं.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-56617993891146105972009-06-20T20:01:51.721+05:302009-06-20T20:01:51.721+05:30अरे जनाब क्यौंकी इन्हे पता पत्रकार बनने के बाद उनह...अरे जनाब क्यौंकी इन्हे पता पत्रकार बनने के बाद उनहे खबर नही नोट छापने है...काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-88497753442593571742009-06-20T13:22:03.189+05:302009-06-20T13:22:03.189+05:30बिलकुल सही लिखा है, आजकल शिक्षा सिर्फ़ डिगी नामक का...बिलकुल सही लिखा है, आजकल शिक्षा सिर्फ़ डिगी नामक कागज का टुकड़ा लेने तक ही सीमित हो गई है…। एक बार एक लोकल पत्रिका के सम्पादक(?) ने मुझसे मेरे लेख पत्रिका के लिये देने को कहा, मैंने कहा लिख कर दो… उसका जो जवाब आया उस पर मैंने जवाब दिया कि पहले अपनी खुद की वर्तनी और व्याकरण सुधारो तब लेख दूंगा…। "मूर्ख" में म के नीचे ऊ की मात्रा होती है और ख से पहले आधा र लगता है… यह भी उसे मुझे ही बताना पड़ा… :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com