tag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post4153058996209955132..comments2023-10-03T16:20:46.521+05:30Comments on तीसरा रास्ता: कहां गईं बेटियां ?आनंद प्रधानhttp://www.blogger.com/profile/05288123571817148120noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8157191427767672214.post-52029866137292987942011-05-17T09:43:06.614+05:302011-05-17T09:43:06.614+05:30आनंद जी, प्रसिद्द मेडिकल पत्रिका '' लांसेट...आनंद जी, प्रसिद्द मेडिकल पत्रिका '' लांसेट'' का कहना है कि देश में प्रति वर्ष 50,000 कन्या-भ्रूण हत्याएं होती हैं.जिस जनगड़ना की आपने चर्चा की है, उसी से यह भी पता चलता है कि देश के जो राज्य सबसे ज्यादा समृद्ध हैं, लिंग अनुपात सबसे ज्यादा वहां ही ख़राब है. मसलन पंजाब के जो इलाके ज्यादा समृद्ध हैं वहां प्रति हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या मात्र 300 पाई गयी है ! यह हमारे सरकारी तंत्र की विफलता है कि आज पोर्टेबुल अल्ट्रासाउंड मशीनों को सायकिल पर रख कर गली-गली घूमकर महज़ 500 रूपये में लिंग परिक्षण किया जा रहा है ! सोचने वाली बात यह है कि निर्धनों में आज भी सबसे बढ़िया लिंग अनुपात है.ऐसे में यह कल्पना करना कि पढ़-लिख लेने से इस कुरीति के प्रति जागरूकता आ जाएगी, हास्यास्पद ही लगता है.हमारे कानून इस दिशा में बहुत ही लचर हैं और उनका क्रियान्वयन तो ख़ैर....! बालिकाओं को paryapt सरकारी संरक्षण मिले बगैर इस बीमारी का इलाज नही हो सकता.सुनील अमरhttps://www.blogger.com/profile/09357557181811146471noreply@blogger.com